अब आप चौंकते नहीं। तब भी नहीं जब एक 28 साल के युवा इंजीनियर शशांक को किसी सुबह मारकर नोएडा स्टेडियम के सार्वजनिक शौचालय में लटका दिया जाता है। आप चौंकते नहीं। तब भी नहीं जब खुलासा होता है कि मारा गया युवक अपनी मौत के समय से सिर्फ तीन घंटे बाद सीबीआई के दफ्तर जाने वाला था। सीबीआई को एक लिखित बयान देकर 2000 करोड़ के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाला था। आप चौंकते नहीं। तब भी नहीं जब पुलिस जांच के लिए उस इंजीनियर के दफ्तर में 9 दिन बाद पहुंचती है। आप चौंकते नहीं। आप शायद ये सुनकर भी ना चौंकें कि फांसी के फंदे पर लटकाए गए शशांक की पीठ पर एक बैग था और बैग में थीं जांच से जुड़ी दो अहम फाइलें। आप शायद ये सुनकर भी ना चौंकें कि इसके बावजूद सीबीआई कहती है कि उसे ये जांच नहीं करनी है। पुलिस कहती है कि उसे सुराग नहीं मिल रहे। लेकिन आपको क्या? रोज कोई ना कोई मारा जाता है। आप अपनी जिंदगी के दो मिनट क्यों खर्च करें इस मुहिम के लिए जो शशांक के लिए इंसाफ मांग रही है.... ( क्या आपके पास इस पोस्ट को शेयर करने का भी वक्त नहीं है?)
No comments:
Post a Comment